बहर- 22, 22, 22, 22
परहित में सब सुख मिलता है ।
गुणियो का अनुभव कहता है ।।
पी लेता जो जह्र द्वेष का ।
शिव शंभू जैसा बनता है ।।
हीरा बनता है पत्थर वो ।
सदियों तक जो दुख सहता है ।।
सदियों तक वो याद रहेगा ।
संत कबीरा जो लिखता है ।।
चमक अटल जी की सब देखो ।
*कुंदन* भी फीका लगता है ।।
तुलसी गुरुनानक वाणी से ।
गंगा में अमृत बहता है ।।
गीता और कुरान सुनो सब ।
मेल मिलाप तभी बढ़ता है ।।
जन्म मिले भारत में हरदम ।
*साथी* ये हसरत रखता है ।।
🌻🌻🌻🌻🌻547🌻🌻
कवि बृजमोहन श्रीवास्तव "साथी"डबरा
परहित में सब सुख मिलता है ।
गुणियो का अनुभव कहता है ।।
पी लेता जो जह्र द्वेष का ।
शिव शंभू जैसा बनता है ।।
हीरा बनता है पत्थर वो ।
सदियों तक जो दुख सहता है ।।
सदियों तक वो याद रहेगा ।
संत कबीरा जो लिखता है ।।
चमक अटल जी की सब देखो ।
*कुंदन* भी फीका लगता है ।।
तुलसी गुरुनानक वाणी से ।
गंगा में अमृत बहता है ।।
गीता और कुरान सुनो सब ।
मेल मिलाप तभी बढ़ता है ।।
जन्म मिले भारत में हरदम ।
*साथी* ये हसरत रखता है ।।
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कवि बृजमोहन श्रीवास्तव "साथी"डबरा
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