वज़्न-1222×4,मफाईलुन×4
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ग़रीबों पे ग़ज़ल है ये निहायत दास्तां उनकी।
बयां करते फटेहालात जो है खामखां उनकी।-01
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यतीमों पे ग़ज़ल है तो उन्हीं के नाम से होगी,
न हो क्यों ये हिफाज़त भी करे वो बागवां उनकी।-02
*
यतीमों ने है फरमाया यकीं उनको खुदा पे है,
दुआ मांगे न चाहत में रहा है आसमां उनकी।-03
*
बड़े ईमान वाले हैं खुदा कहता यही बहतर,
गिला इस बात की ना कद्र कर पाए जहां उनकी।-04
*
ग़ुमां पाले जमाना "ध्रुव"नहीं कुछ संग में जाना,
रुकी सांसें नहीं फिर काम आती है फ़िजां उनकी।-05
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स्वरचित,कापीराइट,ग़ज़लकार,
प्रदीप ध्रुवभोपाली,भोपाल,म.प्र.
दिनाँक.28/01/2020
मो.09589349070
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