सैनिक बोला माटी चंदन,मान तिरंगा है,मेरी शान तिरंगा है।
जान लुटाकर शान बचायें,जिसमें जाँ बसती,वोअरमान तिरंगा है।
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पूजन करते हम माटी का,माँ की शान बढ़ाते हैं।
एक नहीं हम शीश हजारों, माँ को रोज़ चढ़ाते हैं।
नहीं तिरंगा झुकने दें हम,इसका पूजन करते,पावन यमुना गंगा है।
सैनिक बोला माटी चंदन,मान तिरंगा है,मेरी शान तिरंगा है।-01
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संकट में हो जान मगर,हम फ़र्ज़ निभाते हैं।
दुश्मन को हर हाल में,हम तो धूल चटाते हैं।
जिसके बिना नहीं जी पायें,जोश चढ़ाये रग रग में वरदान तिरंगा है।
सैनिक बोला माटी चंदन,मान तिरंगा है,मेरी शान तिरंगा है।-02
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जान लुटायें जब सैनिक,ये लिपट बहुत रोये।
अर्थी के संग सज़ा तिरंगा,निज आपा खोये।
बीत रही क्या सैनिक माँ पे,और बहन पे,नहीं अंजान तिरंगा है।
सैनिक बोला माटी चंदन,मान तिरंगा है,मेरी शान तिरंगा है।-03
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जोश हमें देता दुश्मन को धूल चटाते हैं।
दुश्मन का सर काट हजारों,माँ पे चढ़ाते हैं।
देश से बढ़कर तीन रंग ध्वज,छू ले दुश्मन,नहीं आसान तिरंगा है।
सैनिक बोला माटी चंदन,मान तिरंगा है,मेरी शान तिरंगा है।-04
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प्रदीप ध्रुवभोपाली,भोपाल,म.प्र.
दिनाँक.18/02/2020
मो.09589349070
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