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मंगलवार, 14 अप्रैल 2020

ग़ज़ल :- सब अकेले ही न चखा जाये - प्रदीप ध्रुव


वज़्न-2122-2112-22

सब अकेले ही न चखा जाये।
कुछ सभी का ख़्याल रखा जाये।-01
*
हम नहीं बेगार करेंगे अब
काम भी अब ख़ास दिया जाये।-02
*
हो गये हो आप मसीहा जब,
ख़ैरमक़दम यार किया जाये।-03
*
वो नहीं सुनते अब जायज भी,
दिन गये लद यार अब कहा जाये।-04
*
यार ज़िद अपनी भी यही है अब
अब न ज़्यादा सितम सहा जाये।-05
*
कर रहा तू वार अरे ज़ाहिल,
हांथ दो क्या यार दिया जाये।-06
*
डर खुदा से वो न बख्शेगा "ध्रुव"
हांथ रख सौग़ात मिला जाये।-07
***
★★★★★★★★★★★★
स्वरचित,कापीराइट,ग़ज़लकार,
प्रदीप ध्रुवभोपाली,भोपाल,म.प्र.
दिनाँक.17/01/2020
मो.09589349070
★★★★★★★★★★★★

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