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शनिवार, 18 अप्रैल 2020

सरस्वती वन्दना :- शब्द के कुछ सुमन है समर्पित तुम्हे


शब्द के कुछ सुमन है समर्पित तुम्हे,
बस चरण में इन्हें अब शरण चाहिए ।
कण्ठ से फूट जाये मधुर रागनी,
गीत- गंगा में गोते लगता रहूँ।
स्वर लहर में रहे भीगते तेरे तन वदन,
शारदा मां भजन में लगन चाहिए ।
मिट सके तम के साये प्रखर ज्योति दो,
हंस वाहिनी शुभे शत् शत् नमन।
मां मेरी तुम से है यही  प्रार्थना कि
ध्यान में डूबकर गीत तेरे मैं गाता रहूं।
साधना की डगर हो सुगम मां यहां
तम विमल मन मगन गुनगुनाता रहूँ।
कल्पना के क्षितिज में नये बिम्ब हो,
चित्र जिनसे नये नित सजाता रहूँ।
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कालिका प्रसाद सेमवाल

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