यादों के साये ज़िन्दगी ग़ुज़ार लेंगे हम।
पहले जो हो गई ख़ता सुधार लेंगे हम।-01
उनपे दीवानगी हुई बेइंतहा मुझे,
चाहत है उनका प्यार भी उधार लेंगे हम।-02
आवारगी है हिज़्र में हम बेखबर हुए,
यादों में आपके ये दिन ग़ुज़ार लेंगे हम।-03
तनहाइयाँ तो ज़िन्दगी में हमसफ़र हुईं,
यादों में उनका अक्स भी उतार लेंगे हम।-04
मुमकिन भले आसाँ नहीं सब बेशुमार हो,
मंज़िल न आए हाँथ में बिसार लेंगे हम।-05
ग़ुमनाम अपनी ज़िन्दगी जो अब तलक रही,
कुछ फूल भी रखें उधार ख़ार लेंगे हम।-06
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कवि शायर प्रदीप ध्रुवभोपाली,
भोपाल,दिनाँक.10/06/2019
मो.9893677052/9589349070
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