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मंगलवार, 14 अप्रैल 2020

गीत :-प्रेम क्या है - प्रदीप ध्रुव


प्रेम क्या है सुनो साथियों, प्रेयसी का मिलन साज है।
मीरा ने ज्यों किया कृष्ण से,बस वही नेक अंदाज़ है।
*
राग है रागिनी प्रेम स्वर,माँ का वात्सल्य शुचि प्रेम है।
राखियों में पगा प्रेम है,करती वो जो बहन नेम है।
ईश की साधना प्रेम है,मर्म या हम कहें राज है।
मीरा ने ज्यों किया कृष्ण से,बस वही नेक अंदाज़ है।-01
*
भ्रात का प्रेम अनुपम भरत,
लक्ष्मण का वो वनवास है।
जो सखी के मिलन के लिए,मन में जगती हुई आश है।
प्रेम निकले हृदयतल से जो,नेह की एक आवाज है।
मीरा ने ज्यों किया कृष्ण से,बस वही नेक अंदाज़ है।-02
*
प्रेम निर्बल नहीं है सबल,प्रेम तो एक आकाश है।
प्रेम संभावना सिद्धि की,ये भगीरथ की अभिलाश है।
प्रेम जो प्रेयसी के लिए,हद पे जाने का आग़ाज़ है।
मीरा ने ज्यों किया कृष्ण से,बस वही नेक अंदाज़ है।-03
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बिन बताये जो मन जान ले,प्रेम पावन सा एहसास है।
हो कर जो न घटे फिर कभी,प्रेम मन का ये विश्वास है।
प्रेम का राज हरदम रहा,प्रेम सदियों से था आज है।
मीरा ने ज्यों किया कृष्ण से,बस वही नेक अंदाज़ है।-04
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प्रदीप ध्रुवभोपाली,भोपाल,म.प्र.
दिनाँक.16/02/2020
मो.09589349070
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