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मंगलवार, 14 अप्रैल 2020

ग़ज़ल :- सियासत को क़रीने से अगर तुम खुद सजाओगे - प्रदीप ध्रुव

***********ग़ज़ल**********
बह्र/अर्कान-1222*4,मफाईलुन*4

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सियासत को क़रीने से अगर तुम खुद सजाओगे।
यकीं मानो फतह का दौर तब ही यार लाओगे।
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बुलंदी में नहीं झंडा कभी यूं ही ये लहराये
अगर चाणक्य नीती हो तभी कुछ यार पाओगे।
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बिसातें भी बिछाना है ज़ुदा अंदाज़ शातिर हो
यकीं मानो फतह होगी तुम्हीं तुम लहलहाओगे।
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शराफ़त ओढ़ कर चलना ज़ुबां यूं हो गली मिश्री
बनाया है जिसे आका सलामी ठोंक आओगे।
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बनो आबाम के लीडर निहायत सादगी रखना
बिठायेगी तुम्हें सर‌ पे यकीनन जीत जाओगे।
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दवा दारू कभी कंबल भरी रातों मयस्सर कर
खिलेगा ग़ुल तुम्हारे सर पे *ध्रुव* सहरा सजाओगे।
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प्रदीप ध्रुवभोपाली,भोपाल,म.प्र
दिनांक.30/03/2020
मो.09589349070
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