◆मंजुभाषिणी छंद◆
विधान~
[ सगण जगण सगण जगण+गुरु]
(112 121 112 121 2)
13 वर्ण,4 चरण
दो-दो चरण समतुकांत]
सबसे दयालु यशुदा किशोर जी।
अति भाय मोहि छवि चित्त चोर की।।
बस नेह दृष्टि प्रभु डाल दीजिये।
अब दीनबंधु खुशहाल कीजिये।।
~शैलेन्द्र खरे"सोम
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