वज़्न-2222-1221-2212
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जिनके खातिर भी हमने लुटा जान दी।
उनने भी तो मुझे मौत आसान दी।-01
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ये है आसां नहींं दोस्त हरदम रहे,
दोस्त कल का मिटा दे मुझे ठान दी।-02
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मैं ही पागल रहा यार माना उसे,
उसने दी चोंट मैने मेरी जान दी।-03
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कब है आया फरेबी किसी काम पे,
उसने ही तो सभी कुछ हलाकान दी04
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चलते चलते पहुँच है गये मोड़ पे,
उसने तो मार किश्तो में आसान दीँ।-05
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ऐसा जायज़ नहींं ज़िन्दगी में कभी,
उसने मंदिर में कर्कश भरी तान दी।-06
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होती आसां नहीं मौत या ज़िन्दगी,
रब ने तक़दीर "ध्रुव" को बियाबान दी।-07
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प्रदीप ध्रुवभोपाली,भोपाल म.प्र.
दिनाँक.30/01/2020
मो.09589349070
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