तुलसी साहित्यिक सामाजिक संस्था द्वारा ऑनलाइन कवि सम्मेलन आयोजित
बदायूं। परशुराम जयंती के उपलक्ष्य में तुलसी साहित्यिक सामाजिक संस्था के द्वारा एक ऑनलाइन कवि सम्मेलन आयोजित किया गया। जिसकी अध्यक्षता कामेश पाठक तथा सरस्वती वंदना डॉ. प्रीती हुंकार मुरादाबाद ने की। कवि सम्मेलन का संचालन ओजस्वी कवि षटवदन शंखधार ने किया। जिसमें सभी कवियों ने वीडियो के माध्यम से काव्य पाठ देर रात किया। जिसमें कवियों ने इस प्रकार काव्य पाठ किया।
शैलेन्द्र मिश्रा देव ने कहा कि युग द्रष्टा युग स्रष्टा, परसुराम की जय, शिव के अनन्य भक्त ,को मेरा प्रणाम है। मध्य प्रदेश के सुनील नागर सरगम ने कहा कि ईश्वर ने अवतार लिया है परशुराम बन कर आये। भोले नाथ को गुरु बनाया, दिव्य शस्त्र को पाये।
विकास भारद्वाज ने कहा कि सिर पर जटा,क्रांतिदूत ने दुनिया को वीरता दिखाई। परशुराम ने भीष्म, द्रोण, कर्ण को धनुर्विद्या सिखाई। सुनील कुमार शर्मा ने कहा कि कांधे पे पिनाक धारि, कर में कुठार लिए, अरि के दमन हेतु, चले भृगुनाथ हैं। मिर्जापुर से डा.कनक पाठक ने कहा कि विष्णु के कुल अवतारों में षटावतार तुम्हारा है, हे! जमदाग्निय वर दो हमको सहत्र प्रणाम हमारा है। शाहजहांपुर से प्रदीप बैरागी ने कहा कि परशुराम हैं राम के, युग सृष्टा अवतार। आकर पृथ्वी पर सकल,किया जीव उद्धार ।
यह कार्यक्रम काव्य गंगा यूटयूब चैनल पर भी उपलब्ध है :-
मुम्बई के रवि रश्मि अनुभूति ने कहा कि आज अक्षय तृतीया के दिन ही जयंती परशुराम की, क्रोध के भंडार रहे, प्यार के प्रतीक परशुराम की। संचालक षटवदन शंखधार ने कहा कि मातु रेणुका का पुत्र, वीरता का था प्रतीक, तीनों लोक नाम सुन,कांप कांप जाते थे, तीरों से था भरा हुआ,तरकश देख देख, शत्रु दल अति शीघ्र,भाव भांप जाते थे, वीर योद्धा जिस ओर, मुड जाता एक बार, दानवों के मुंड मुंड ,धूल में समाते थे, साधु जन विप्र जन,भृगु जी का नाम जप, हिय में आनंद लिए, अति सुख पाते थे।
भोपाल से नीतू राठौर ने कहा कि माता के प्रति प्रेम भाव था, मान रखा आज्ञा का पिता की जो थे पालनहार, पिता ने क्रोधवश चार पुत्रों को श्राप दिया खो देने का अपने विवेक विचार।
बंदा से प्रमोद दीक्षित मलय ने कहा कि महाकाल शिव की आराधना में रत वह। भाव भक्ति प्रबल रही निष्काम हो गया। कर में परशु गहे, कांधे शरासन सोहे। तापस धनुर्धारी परशुराम हो गया। कामेश पाठक ने कहा कि भाल पे लाल त्रिपुण्ड लसै,उर रुद्र की माल विराजत है। वायें कर मे धनुवाण सजे,दहिने कर फरशा साजत है। रस रौद्र बसे जैसे नैनन मे,बैनन रस वीर सुहावत है । दास हृदय प्रभु वास करौ,तुम्हें पाठक शीश झुकावत है। बिहार दरभंगा से विनोद कुमार ने कहा कि छठे अवतार रूप विष्णु जी का आप ही हों भीष्म द्रोण कर्ण सारे शिष्य कहलाते हैं। उज्जवल वशिष्ट ने कहा कि कलियुग में साधू संतों का जीना है दुशवार, परशुराम भगवान तुम्हारा कब होगा अवतार।
परशुराम जयंती के उपलक्ष्य में सामाजिक संस्था के द्वारा आनलाइन कवि सम्मेलन का हुआ आयोजन - दैनिक वाडेकर टाइम्स -
मेरठ से यतिन अधाना ने कहा कि सकल जगत की रक्षा में वो परशु धार चले रण में,अहंकार का दमन करनेप्रभु अवतार चले रण में लें। विष्णु असावा ने कहा कि प्रभु परशुराम मेरे, तुमने ही दुनिया तारी तुमने ही दुष्ट मारे, तुमने धरा उबारी।
कवि सम्मेलन में तुलसी साहित्यिक सामाजिक संस्था के अध्यक्ष अतुल कुमार श्रोत्रिये ने सबका हदय से आभार व्यक्त किया। ग्रुप में श्रोता के रूप में सीमा चौहान, हरिचंद्र सक्सेना, डां राकेश कुमार जायसवाल, कौशिक सक्सेना ने सभी की कविताओं पर सटीक विश्लेषण टिप्पणी की और उत्साह वर्धन किया। संस्था सचिव पवन शंखधार ने सभी साहित्यकारों का आभार किया।
बहुत सुंदर।
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