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मंगलवार, 14 अप्रैल 2020

हास्य रचना/चुनाव का मौसम - प्रदीप ध्रुव


चुनाव का मौसम आया,नेताजी ने बुज़ुर्गो के पाँव छुए।और विजयश्री मिलते ही पाँच बरस को ईद के चाँद हुए।
फिर क्या...
ग़ुमशुदा नेता की तलाश में जनता ने जगह जगह इश्तहार लगवाया.।
कोई ज्योतिषियों के चक्कर तो कोई तांत्रिक के यहाँँ हवन करवाया।
पर हाय री किश्मत..
इन सबके बावजूद भी नेता लापता पाँच बरस नज़र न आया।
और अगला चुनाव आने की आहट भर से नेताजी फिर पधारे..
किसी ने कहा आप कहाँ से आ टपके,सभी ने कहा तुम स्वर्ग सिधारे.
अरे चुनावी मौसम के मेंढक फिर टर्र टर्र टर्राने आ गये..
मुझे पता है तुम्हारी दाल भर काली नहीं,सारी दाल ही खा गये..
अरे बुड़बक बेशरम मोटी खाल के तुम,न काम के न काज के तुम..
अब कौन सा मुँह ले कर तुम फिर से आशिर्वाद लेने आ गये..
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प्रदीप ध्रुवभोपाली,भोपाल म.प्र.दिनाँक.
08/02/2020
मो.09589349070
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