मात्राभार-14-14
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खूटियों पर टाँग खुशियाँ,हो गये परिवार के हम।
चैनसुख भूले सभी कुछ,बन मुसाफ़िर ख़ार के हम।
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भूल हम बैठे स्वयं को,कर्मपथ चलते रहे बस।
त्याग का पर्याय देखा,आँख सब मलते रहे बस।
हम हुए हैं शून्य संग,साक्षवत संसार के हम।
चैनसुख भूले सभी कुछ,बन मुसाफ़िर खार के हम।-01
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डूबकर संसार में हम,पी रहे सबका जो गम था।
आँसुओं से तरबतर थे,बाँट डाला जो सितम था।
हम बने कर्तव्य पालक,साक्ष्य थे अधिकार के हम।
चैनसुख भूले सभी कुछ,बन मुसाफ़िर खार के हम।-02
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पर मिला निष्कर्ष ये भी,फल नहीं मिलता यहाँँ छल।
आज में जीते नहीं हम,और है आता नहींं कल।
यत्न नाहक क्यों करें गम,मोहरे ब्यापार के हम।
चैनसुख भूले सभी कुछ,बन मुसाफ़िर खार के हम।-03
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आचमन पीते रहे हम,संग पिया हमने सितम है।
भाग्य से मिलता रहेगा,दिल में जो आया वहम है।
रात पूनम की अँधेरा,पर तमस में ही रहे हम।
चैनसुख भूले सभी कुछ,बन मुसाफ़िर खार के हम।-04
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प्रदीप ध्रुवभोपाली,भोपाल,म.प्र.
दिनाँक.31/01/2020
मो.09589349070
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