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मंगलवार, 14 अप्रैल 2020

ग़ज़ल :- हादसा है ज़िन्दगी ये मौत भी इक हादसा है - प्रदीप ध्रुव

बह्र/अर्कान-2122×4,फाइलातुन×4
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हादसा है ज़िन्दगी ये मौत भी इक हादसा है।
चाह बिन जीना यहाँ मरना यहाँँ भी खाँमखा है।-01

हौंसला मुझमे दिखा जाँवाज थे हम नामवर भी,
एक ही आवाज़ में पीछे चला फिर कारवां है।-02

रौब वाला वो रहा कहते रहे उसको फ़लक सब,
जब सितारे ग़र्दिशों में कौन कहता आसमां है।-03

आरज़ू को ज़ुस्तज़ू में जो करे तब्दील कहते,
सब यही आसाँ नहीं ये इस जहाँ का बागवां है।-04

ऐ खु़दा मेरे लिए इंसानियत है फ़र्ज़ जायज,
हमवतन से हम निभाते यूँ कि वो बस हमनवां है।-05

मुफ़लिसों के जब मसीहा हम बने सब ने कहा ये,
आज भी इंसानियत का दौर "ध्रुव" कह लो ज़वां है।-06

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कवि शायर प्रदीप ध्रुवभोपाली
भोपाल,दिनाँक.21/02/2019
मो.09589349070
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