वज़्न-1222-1222-1222-1222,मफाईलुन×4
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लिफाफा बंद उनके नाम का पैगाम लिक्खा है।
खयालो में वही आते सुबह से शाम लिक्खा है।-01
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हुई थी दोस्ती इक दिन निहायत हादसे माफिक़,
वही था दौर इस दिल में तिरा ही नाम लिक्खा है।-02
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अमानत छोड़ मेरे पास दिल की भूल वो बैठे,
वो ले जाएं किराए बिन,भी है आराम लिक्खा है।-03
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जलाते हैं चरागा नाम से जिनके वो क्या जानें,
इबादत भी करें उनकी ज़रूरी काम लिक्खा है।-04
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ग़ुनाहों में नहीं ग़र ख़ास भी माना किसी को तो,
मिरे दिल में कि उनका नाम चारों धाम लिक्खा है।-05
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करें बेइंतहा भी इश्क़ ये उसको पता भी हो,
पता मेरा सुनो अब यार "ध्रुव" गुमनाम लिक्खा है।-06
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स्वरचित,कापीराइट,ग़ज़लकार,
प्रदीप ध्रुवभोपाली,भोपाल,म.प्र.
दिनाँक.20/01/2020
मो.09589349070
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