हिंदी साहित्य वैभव

EMAIL.- Vikasbhardwaj3400.1234@blogger.com

Breaking

शनिवार, 11 अप्रैल 2020

वंशस्थ छंद :- अनीत होते मत आप देखिये - शैलेन्द्र खरे"सोम"

◆वंशस्थ छंद◆

विधान~
[ जगण तगण जगण रगण]
(121   221   121  212)
12वर्ण,4 चरण
दो-दो चरण समतुकांत]

अनीत  होते  मत  आप देखिये।
विरोध कीजे जड़ खोद फेंकिये।।
समाज  ऐसी  अपनी  बनी  रहे।
दुखी  न  कोई  समता नदी बहे।।

                ~शैलेन्द्र खरे"सोम"

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

हिंदी साहित्य वैभव पर आने के लिए धन्यवाद । अगर आपको यह post पसंद आया हो तो कृपया इसे शेयर कीजिये और comments करके बताये की आपको यह कैसा लगा और हमारे आने वाले आर्टिक्ल को पाने के लिए फ्री मे subscribe करे
अगर आपके पास हमारे ब्लॉग या ब्लॉग पोस्ट से संबंधित कोई भी समस्या है तो कृपया अवगत करायें ।
अपनी कविता, गज़लें, कहानी, जीवनी, अपनी छवि या नाम के साथ हमारे मेल या वाटसअप नं. पर भेजें, हम आपकी पढ़ने की सामग्री के लिए प्रकाशित करेंगे

भेजें: - Aksbadauni@gmail.com
वाटसअप न. - 9627193400

विशिष्ट पोस्ट

सूचना :- रचनायें आमंत्रित हैं

प्रिय साहित्यकार मित्रों , आप अपनी रचनाएँ हमारे व्हाट्सएप नंबर 9627193400 पर न भेजकर ईमेल- Aksbadauni@gmail.com पर  भेजें.