हिंदी साहित्य वैभव

EMAIL.- Vikasbhardwaj3400.1234@blogger.com

Breaking

सोमवार, 13 अप्रैल 2020

ग़ज़ल :- क्या खुदा मंजूर करता अब दुआ है.....पारस गुप्ता

२१२२,२१२२,२१२२

क्या  खुदा  मंजूर  करता  अब  दुआ है.....
इश्क़  क्यों  लगता  मुझे  अब बद्दुआ है.....

लिख रहे हैं फिर गजल हम इश्क़ पे हां....
जी  अभी  कोई  नया,  शाबा  जगा  है......
(शाबा= दर्द-ए-दिल)

आइना  क्यों  साफ  करते फिर रहे हो...
गर्द   तो   माथे   पे   तेरे   ही  लगा  है......

रात   भर   सोया   नहीं   याद  में   वो...
रात  भर  गुमशम  कहीं  रोता  रहा  है.....

#पारस_गुप्ता

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

हिंदी साहित्य वैभव पर आने के लिए धन्यवाद । अगर आपको यह post पसंद आया हो तो कृपया इसे शेयर कीजिये और comments करके बताये की आपको यह कैसा लगा और हमारे आने वाले आर्टिक्ल को पाने के लिए फ्री मे subscribe करे
अगर आपके पास हमारे ब्लॉग या ब्लॉग पोस्ट से संबंधित कोई भी समस्या है तो कृपया अवगत करायें ।
अपनी कविता, गज़लें, कहानी, जीवनी, अपनी छवि या नाम के साथ हमारे मेल या वाटसअप नं. पर भेजें, हम आपकी पढ़ने की सामग्री के लिए प्रकाशित करेंगे

भेजें: - Aksbadauni@gmail.com
वाटसअप न. - 9627193400

विशिष्ट पोस्ट

सूचना :- रचनायें आमंत्रित हैं

प्रिय साहित्यकार मित्रों , आप अपनी रचनाएँ हमारे व्हाट्सएप नंबर 9627193400 पर न भेजकर ईमेल- Aksbadauni@gmail.com पर  भेजें.