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मंगलवार, 14 अप्रैल 2020

ग़ज़ल :- आँँसू बहे जो रात भर तो बन गई ग़ज़ल - प्रदीप ध्रुव

*******ग़ज़ल*******
बह्र/अर्कान-2212-2212-2212-12
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आँँसू बहे जो रात भर तो बन गई ग़ज़ल।
ये ज़िन्दगी में ज़ख्म आये तन गई ग़ज़ल।
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दो पल खुशी की ज़िन्दगी ख़ारों भरा सफ़र,
दिन काटने की बात आयी ठन गई ग़ज़ल।
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जाती रही है नींद वो जबसे जुदा हुए,
बहते हुए जो आंसुओं से सन गई ग़ज़ल।
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ठोकर लगी तो  सांच क्या मालूम ना हुआ,
करने पता क्या माजरा मधुवन गई ग़ज़ल।
*
सारा फरेबी है जहां शिकवा करें कहां,
सरपंच अलगू मिल गये आंगन गई ग़ज़ल।
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आशिक़ हुए थे यार के धोखा मिला जिन्हें,
बेचैनियों में *ध्रुव* सुनो लन्दन गई ग़ज़ल।
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प्रदीप ध्रुवभोपाली,भोपाल, मध्यप्रदेश
दिनांक-22/03/2020
मो.09589349070
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