इबादत इश्क़ की करनी वफ़ा दिल पाक रखना है......
न कोई छल कपट करना फक़्त दिल साफ रखना है......
वो ठहरी हुस्न की मलिका जबाँ कमसिन नशीली सी...
उसे तुम चाँद मत बोलो मुझे महताब रखना है.......
बयाँ जो करना न पाया लफ्ज़ में अहसास वो हो तुम....
बयाँ कैसे करें तुमको नहीं अल्फ़ाज़ रखना है......
मिली जो हैं मुझे किस्मत से वो नायाब मूरत तुम.....
तुम्हें मूरत नहीं रखना तुम्हें हमनाम रखना है.......
हमें मालूम है तुम क्यों उसे ग़ज़लों में लिखते हो.....
अगर ये इश्क नहीं तो क्या उसे बदनाम रखना है......
जिधर देखो जिक्र उसका अधर पर नाम उसका है....
मुहब्बत नाम उसका है नहीं क्या नाम रखना है........
#पारस_गुप्ता
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