चंद अश़आर/ग़ज़ल
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बह्र/-2122-2122-2122-212
फाइलातुन फाइलातुन फाइलातुन
फाइलुन
चोर मैं तू है सिपाही तो मज़ा है आ रहा।
तू सड़क मैं यार राही तो मज़ा है आ रहा।
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जो कहे तू वो बनेगी सब कहें नाज़ीर अब
हो रही है वाहवाही तो मज़ा है आ रहा।
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आसमां है सुर्ख़ अब तो रोज़ वो गहरा चला
सुर्ख़ से हो जाय स्याही तो मज़ा है आ रहा।
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ज़िन्दगी को ग़र हक़ीक़त में जिएं ये सीख लें
फिर कहेंगे या इलाही तो मज़ा है आ रहा।
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जो निहायत खानदानी तो अलग तासीर भी
जो हुई है ठाट शाही तो मज़ा है आ रहा।
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फ़लसफ़ा है ज़ीस्त ये नोबल भी हम यूं कह सकें
ये ज़ुदा *ध्रुव* यार राही तो मज़ा है आ रहा।
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प्रदीप ध्रुवभोपाली,भोपाल म.प्र.
दिनांक 29/03/2020
मो.09589349070
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