आज सुखमय जिएं किसने देखा है कल।
रुख यहां ज़िन्दगी का बदलता है पल।
आश विश्वास संचार सुखमय करे।
जो मिले घाव थे आज उनको भरे।
ऐसा जीवन भी जीना नहीं काम का,
हर घड़ी मन में ये अब मरे अब मरे।
सांच को देखिए आंख को आज मल।
रुख यहां ज़िन्दगी का बदलता है पल।०१
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भाव समभाव के पी सकें हम ग़रल।
आश कम हों यहां जी सकें हम सरल।
आवरण हम मिटा ठोस चिन्तन करें,
ज़िन्दगी को बनाएं सरल और तरल।
हम सजग हो चलें हर घड़ी आज छल।
रुख यहां ज़िन्दगी का बदलता है पल।०२
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हम सफलता उसे आज हैं कह रहे।
जो कि ऊंचाइयों की तरफ बह रहे।
आज असफल जो ईमान पे हैं चले
नित्यप्रति घात प्रतिघात हैं सह रहे।
सांच सुखमय मगर हैं वो दिखते विफल।
रुख यहां ज़िन्दगी का बदलता है पल।०३
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अब बिना कूटनीति है निस्सार सब।
कुर्सियों पर नज़र है यही सार अब।
कीजिए अब खुशामद सियासत बड़ी
वक्त बेवक्त जरूरत ही आ जाए कब।
संग सियासत रहे तोड़ आए निकल।
रुख यहां ज़िन्दगी का बदलता है पल।०४
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प्रदीप ध्रुवभोपाली, भोपाल,म.प्र.
दिनांक.07/04/2020
मो.09589349070
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