जब से रुखसत हुआ दिलरुबा नही आया ।
जाने क्या कुछ हुआ महरवाँँ नहीं आया ।।-01
*
हमने मागा सुकून था उससे मगर वो तो
बदला मौसम कभी कहकशां नहीं आया।-02
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दे के सपने गया बहुत से मगर अब तक,
वो है ज़ालिम मिरा हमनवां नहीं आया।-03
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मेरा माशूक दे के तड़प गया जब से,
उसके मानिन्द कोई ज़वां नहीं आया।-04
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कबसे हाथों हिना सजाई हुई आखिर,
कैसा ज़ालिम मिरा नौज़वां नहीं आया।-05
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रो के होने लगे अश्क़ "ध्रुव" ख़त्म अब तो,
मेरे दिल का हसीं बागवां नहीं आया।-06
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प्रदीप ध्रुवभोपाली,भोपाल,म.प्र.
दिनाँक.07/02/2020
मो.09589349070
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