फूल -कांटे बने हैं चमन के लिए।
जन्म जिनका हुआ इस अमन के लिए।।
आज उनको नमन है मेरा दोस्तों।
त्याग घर को दिये जो वतन के लिए।।
प्रेम का सब नशा अब उतर सा गया।
आँख में इक समंदर उमड़ सा गया।।
देश पर खतरे जबसे आने लगे।
तन तो जिन्दा रहा मन तो मर सा गया।।
दोस्ती तुम करो तो निभायेंगे हम।
दोस्ती का फरज़ हर बतायेंगे हम।
देश पर आँख अपनी उठाओगे जो ।
काटकर जिन्दा तुमको जलायेंगे हम।।
तानकर चादरें तुमको रहना नहीं।
प्रेमिका याद आये तो कहना नहीं।।
देश के वास्ते दुश्मनो से लड़ो।
सैनिकों पीछे तुमको हैं हटना नहीं।।
देश पर जान अपनी लुटाते रहो।
वीरता के पराक्रम दिखाते रहो।।
बात में ही नहीं काम में आगे हो।
बात ये सबको अपनी बताते रहो।।
आकाश कातिल
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