तिरंगा पे हुए क़ुर्वान, शहीदों की अमानत है।
तिरंगा प्यारा लहरा लो,नहीं करना बग़ावत है।
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न जाने कितनी माताओं की गोद भी हुई सूनी।
सुहागें उजड़ी बहनों की,गम बरसात भी दूनी।
शहीदों ने दी आज़ादी, हमें रखना सलामत है।
तिरंगा प्यारा लहरालो,नहीं करना बग़ावत है।-01
*
हुए आज़ाद पर इस मुल्क़ की बाहें कटी फिर जब।
सभी रोयें थे जब उन्मादियों में हवस आई तब।
लुटी थी लाज़ अपनों से,तो फिर रोई शहादत है।
तिरंगा प्यारा लहरालो,नहीं करना बग़ावत है।-02
*
कटे सर लाश रेलों में,पेशावर से इधर आई।
लिखा आज़ादी का तोहफ़ा,नहीं उनको शर्म आई।
चुकाया मोल है जिसका,उस आज़ादी से राहत है।
तिरंगा प्यारा लहरालो,नहीं करना बग़ावत है।-03
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नहीं कोई था मज़हब तब कहलाते थे बलिदानी।
लड़ी थी ज़ंग़ मिलकर तब, नहीं की कोई नादानी।
बहे आंसू थे बलिदानों से,लेकिन दूर आफ़त है।
तिरंगा प्यारा लहरालो, नहीं करना बग़ावत है।-04
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स्वरचित,कापीराइट,गीतकार,
प्रदीप ध्रुवभोपाली,भोपाल,म.प्र.
दिनाँक.25/01/2020
मो.09589349070
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