हिंदी साहित्य वैभव

EMAIL.- Vikasbhardwaj3400.1234@blogger.com

Breaking

रविवार, 12 अप्रैल 2020

आस न रखना - सुमित शर्मा


अब  कोई  अहसास  न रखना,
गलतफहमियां  पास न रखना।
धैर्य    तुम्हें    न    लेने    दूँगा।,
अंदर  गहरी   साँस  न  रखना।

तुम  कृतघ्न  थे,  छुपकर  बैठे,
मानवता   का   ओढ़   लबादा।
हर अवसर  पर,  हरेक हाल में,
तुमने  बस अपना  हित साधा।

तुम  अवसर  पर  काम न आये,
मैं   भी   काम   नहीं   आऊँगा।
तुमने  स्वार्थ   को   साधा,  फिर
मुझसे ईमान की आस न रखना।

तुम  साजिश   के   तीर  पजाते,
हमने    भी    तूणीर    सजाया।
आओ  दो-दो  हाथ   करें   अब,
अपना  पहलू    बहुत   बचाया।

छद्म   रूप   से   वार   करो  तो,
फिर  बिन-बाधा   वृष्टि   करना।
मैं   भी   अपना    दाँव   चलूँगा,
तुम  थोड़ा  अवकाश  न रखना।

✍🏻✍🏻✍🏻✍🏻✍🏻✍🏻✍🏻✍🏻

~पं० सुमित शर्मा 'पीयूष'
अध्यक्ष : विश्व जनचेतना ट्रस्ट भारत (बिहार इकाई)
संपर्क : 7992272251

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

हिंदी साहित्य वैभव पर आने के लिए धन्यवाद । अगर आपको यह post पसंद आया हो तो कृपया इसे शेयर कीजिये और comments करके बताये की आपको यह कैसा लगा और हमारे आने वाले आर्टिक्ल को पाने के लिए फ्री मे subscribe करे
अगर आपके पास हमारे ब्लॉग या ब्लॉग पोस्ट से संबंधित कोई भी समस्या है तो कृपया अवगत करायें ।
अपनी कविता, गज़लें, कहानी, जीवनी, अपनी छवि या नाम के साथ हमारे मेल या वाटसअप नं. पर भेजें, हम आपकी पढ़ने की सामग्री के लिए प्रकाशित करेंगे

भेजें: - Aksbadauni@gmail.com
वाटसअप न. - 9627193400

विशिष्ट पोस्ट

सूचना :- रचनायें आमंत्रित हैं

प्रिय साहित्यकार मित्रों , आप अपनी रचनाएँ हमारे व्हाट्सएप नंबर 9627193400 पर न भेजकर ईमेल- Aksbadauni@gmail.com पर  भेजें.