◆अनन्द छंद◆
विधान~[ जगण रगण जगण रगण+लघु गुरु]
(121 212 121 212 12)
14 वर्ण,4 चरण,
दो-दो चरण समतुकांत]
गुनौ सदा गुणानुवाद कृष्णचंद के।
बसाय लीजिये मनै जु लाल नंद के।।
सुयोग है सुभीत चित्त को सुधार लो।
अतीव"सोम" भाय रूपको निहार लो।।
~शैलेन्द्र खरे"सोम"
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