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मंगलवार, 7 अप्रैल 2020

लोकगीत :- चंचल मन - दिलीप पाठक


हमकौ दइ दे थोड़ो प्यार|~2
अब तू नाहीं कर इन्कार||
हमकौ दइ दे थोड़ो प्यार|~2
 
साहिल दूर खड़ो मुस्कावत|
चंचल उर्मि देख ललचावत||
फैलो केतो है विस्तार|
मेरी नैया है मझधार ||
हमकौ दइ दे थोड़ो प्यार|~2
 
कहीं किसी ने नाम पुकारा|
आस पास ही है वह तारा||
मन में श्रद्धा जगी अपार|
होता तुझसे ही उजियार||
हमकौ दइ दे थोड़ो प्यार|~2
 
सरस-सरल-सी प्रीत हमारी|
फूली सुकुमारी फुलवारी||
आ जा गन्धिल हुई बयार|
अब तो डाल गले में हार||
हमकौ दइ दे थोड़ो प्यार||~2
 
खेल खिलौने चंचल मन के|
सुख दुख तो साथी जीवन के||
मेरा तू ही तो संसार|
जीवन जीना है दिन चार||
हमकौ दइ दे थोड़ो प्यार||~2
 

दिलीप कुमार पाठक सरस

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