माँ तेरी ममता छाया को,सरस करे नित-नित वंदन।
मेरी माता तुम्हें समर्पित,रोम-रोम के स्पन्दन।।
ज्ञात नहीं, क्या ज्ञात मुझे?सब कुछ ही आभास करातीं।
लगाके छाती,ढाँक के आँचल,थपकी देके सदा सुलातीं।।
तुम न सुनोगी,कौन सुनेगा?इस जग में मेरा क्रन्दन।।
माँ तेरी ममता--------------
सदा-सदा से ही मैंने,ममता छाया सुख पाया।
कभी न रोना लाल मेरे,आशीष सदा तुमसे पाया।।
तेरी शीतल गोद में बैठूँ,बनूँ सभी का अभिनंदन।
माँ तेरी ममता-------------
बालक की बस एक खुशी,सर्वस्व सदा न्यौछावर करतीं।
शिशु के हित सब सह लेतीं,रंचमात्र न उफ्फ करतीं।।
अपनी माँ को गोद उठाऊँ, बिठाऊँ,निज हृदय के स्यन्दन।।
माँ तेरी ममता------------
मुझ अबोध को बोध तुम्हारा,स्नेहिल शोध कराता है।
वात्सल्य भरा हर रोष तुम्हारा,ममता कोष लुटाता है।।
बँधा हुआ है माता तुमसे,तेरे इस नंदन का बंधन।।
माँ तेरी ममता छाया को,सरस करे नित-नित वंदन।।
दिलीप कुमार पाठक "सरस"
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