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रविवार, 5 अप्रैल 2020

इतराना तो स्वाभाविक है अपनी इस पहचान पर - आदित्य तोमर

इतराना तो स्वाभाविक है अपनी इस पहचान पर।
हमें गर्व है, हमें गर्व है अपने हिन्दुस्तान पर।।
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मुकुट हिमालय है जिसका गंगा-यमुना हैं माला,
युगों-युगों से चरण दबाता है सागर मतवाला,
पुरबा-पछुआ पंखा झलतीं, ऐसा किस्मत वाला,
देखा कहीं किसी ने जग में ऐसा देश निराला.
आदिकाल से चमक रहा यह सूरज सीना तान कर.
हमें गर्व है, हमें गर्व है अपने हिन्दुस्तान पर।।
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इसने ही सबसे पहले थी ज्योति ज्ञान की लाई,
और सभ्यता की जग भर में फैलाई अमराई,
ऋषि-मुनियों के आशीषों ने दी अक्षुण्ण तरुणाई,
कर्मयोग, कर्तव्यपरायणता की राह दिखाई,
सादर शीश झुकाया जग ने वेदों के उस ज्ञान पर.
हमें गर्व है, हमें गर्व है अपने हिन्दुस्तान पर.
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आदित्य तोमर,
वज़ीरगंज, बदायूँहनन

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