क्यों वो रखती है दरीचे को ज़ियादातर खुला ।
जंग-ए-आज़ादी में काफ़ी लोग थे इस शहर के,
और फिर इस शहर में भी एक चिड़ियाघर खुला ।
तुमसे पहले भी मकान-ए-दिल में रहता था कोई
और तुम्हारे बाद भी रक्खेंगे दिल का दर खुला
एक फ्लाइट रद हुई है तेज़ बारिश के सबब
इक परिंदा उड़ रहा है पिंजरे के अन्दर खुला
चोर उचक्कों का हवाला बस बहाना है चराग़
बंद घर में भी नहीं रखता कोई लौकर खुला
- चराग़
us gali se roz guzra tab kahiN mujh pr khula
kyuN vo rakhti hai dareeche ko ziyadatar khula
jung-e-aazaadi me kaafi log the is sheher ke
or phir is sheher me bhi ek chidiya ghar khula
tumse pehle bhi makaan-e-dil me rehta tha koi,
or tumhare baad bhi rakkhenge dil ka dar khula .
Ek flight rad hui hai tez baarish ke sabab
ik parinda udd rha hai pinjare ke andar khula
chor uchakkoN ka hawala bas bahana hai charagh,
band ghar me bhi nhi rakhta koi locker khula .
- charagh
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