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गुरुवार, 2 अप्रैल 2020

ख़्वाब की लाश बहाने कोई आंसू आए - चराग़ शर्मा

ख़्वाब की लाश बहाने कोई आंसू आए !
इससे पहले कि मेरी आँखों से बदबू आए ।

तेरे ग़म की जो जगह है वो तेरे ग़म की है ,
दिल को ये भी नही बर्दाश्त वहां तू आए ।

इश्क़ की रोटी है ,मिल बाँट के खा लेते हैं,
क्यों भला बीच में दुनिया का तराज़ू आए ।

बहस करनी है तो इस शर्त पे करनी होगी,
होंठ सिल जाएं बिछड़ने का जो पहलू आए ।

मैंने लफ़्ज़ों से बुना है वो ग़ज़ल का क़ालीन,
बैठ के जिसपे मेरा ज़हन उसे छू आए ।

- चराग़

Khwab ki laash bahaane koi aansu aaey
Isse pehle ki meri aankhon se badboo aaey

Tere gham ki jo jagah hai vo tere gham ki hai
Dil ko ye bhi nhi bardaasht vahan tu aaey

Ishq ki roti hai mil baant ke khaa lete hain
Kyun bhala beech me duniya ka taraazu aaey

Behes krni hai to is shart pe krni hogi,
Honth sil jaaen bichhadne ka jo pehlu aaey

Maine lafzon se buna hai vo ghazal ka qaaleen
Baith ke jis pe mera zehen use chhu aaey

- charagh

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