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शुक्रवार, 3 अप्रैल 2020

पा रहे हैं योजनाओं का सही अधिकार कितने - रकमिश सुल्तानपुरी


वज़्न-2122    2122    2122    2122
क़ाफ़िया -आर
रदीफ़ --कितने
                     
पा रहे  हैं  योजनाओं  का सही अधिकार कितने ।
आज  बदहाली  से  लड़ने को यहाँ तैयार कितने ।
जो   ढ़िढोरा  पीटते  थे  देशहित  का  फ़क्र से वो ,
मुँह छिपाते दिख रहे हैं आजकल लाचार कितने ।
पोल उन सबकी  खुलेगी देश को जिसने भी लूटा ,
हैं ,पता  बेशक़  चलेगा    देश  में   गद्दार  कितने ।
आपदाओं  के  कहर  में  भूख  से  जो लड़ रहे हैं ,
आ रहे  उनको बचाने  गिरगिटी  क़िरदार कितने ।
ऐ सुनो  गुमशक्ल लोगों  शर्म से जाओ कहीं मर ।
सुर्खियाँ तेरी गिनाते आज़कल अख़बार  कितने ।।
देश के उन माँझियों  को आज करता हूँ नमन मैं ।
सच्चे दिल से खे रहे है  देश की  पतवार  कितने ।।
हो गया होगा  यक़ीनन आपको  मालूम 'रकमिश,
मानते है  नागरिक अब  देश को  परिवार कितने ।
                            --रकमिश सुल्तानपुरी
                             सुल्तानपुर उत्तर प्रदेश

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