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शनिवार, 4 अप्रैल 2020

ग़ज़ल :- उनके ऊपर दुनियाँ हमने वारी है - बृजमोहन श्रीवास्तव 'साथी'

बहर- 22-22-22-22-22-2

उनके ऊपर दुनियाँ हमने वारी है ।
वो बस समझे ये तो दुनिया दारी है ।।

हाल बुरा  तस्वीरों  का हमने देखा ।
दीवारों  पर लटकी  वो बेचारी है ।।

जान फँसी है आफत में अपनी यारो ।
उनको दिखती कब अपनी खुद्दारी है ।।

दूर खड़े होकर हम पर हसते हो क्यो ।
बिन देखे रहना भी तो बीमारी है ।।

यौवन की बारुद लिऐ क्यो फिरते हो ।
दूर रहो हम भी रखते चिंगारी है ।।

एक शगूफा मानो है बिलकुल सच्चा ।
किस्मत के आगे मेहनत कब हारी है ।।

अहसास करा दो मुझको मेरे होने का ।
सुन रख्खी तेरी *साथी* फ़नकारी है ।।

🌻🌻🌻🌻🌻592🌻🌻
कवि बृजमोहन श्रीवास्तव "साथी"डबरा

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