ये दिल जैसे जैसे मचलता रहेगा।
वही दर्द गज़लों में ढलता रहेगा।।
ये फ़िरकापरस्ती का आलम जहाँ में,
कभी खत्म होगा या चलता रहेगा।
कोई बैइमानी नहीं अब चलेगी,
ये नेकी का सिक्का है चलता रहेगा।
सिला चाहतो का भले तुम न देना,
वफ़ा का दिया फ़िर भी जलता रहेगा।
'निशा 'एकसा कुछ रहा कब जहाँ में,
ये मौसम है प्यारे बदलता रहेगा।
© डॉ नसीमा निशा
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
हिंदी साहित्य वैभव पर आने के लिए धन्यवाद । अगर आपको यह post पसंद आया हो तो कृपया इसे शेयर कीजिये और comments करके बताये की आपको यह कैसा लगा और हमारे आने वाले आर्टिक्ल को पाने के लिए फ्री मे subscribe करे
अगर आपके पास हमारे ब्लॉग या ब्लॉग पोस्ट से संबंधित कोई भी समस्या है तो कृपया अवगत करायें ।
अपनी कविता, गज़लें, कहानी, जीवनी, अपनी छवि या नाम के साथ हमारे मेल या वाटसअप नं. पर भेजें, हम आपकी पढ़ने की सामग्री के लिए प्रकाशित करेंगे
भेजें: - Aksbadauni@gmail.com
वाटसअप न. - 9627193400