हिंदी साहित्य वैभव

EMAIL.- Vikasbhardwaj3400.1234@blogger.com

Breaking

मंगलवार, 7 अप्रैल 2020

ग़ज़ल :- मैं पढ़ूं जब ग़ज़ल तो सुना कीजिये - डा. नसीमा निशा

मैं पढ़ूं जब ग़ज़ल तो सुना कीजिये ।
शेर अच्छा कहूं ये दुआ  कीजिये ।।

साथ हूँ आपके हर घडी जैसे मैं ,
खवाब ऐसे हमेशा बुना कीजिये l 

कुछ तो फ़िरकापरस्ती से हटकर कहें ,
सोच का दायरा अब बडा कीजिये l

दर्द मिटने लगे हैं पुराने सभी ,
ज़ख्म फ़िरसे न कोई हरा कीजिये l 

रब ने इंसा बनाकर के भेजा हमें ,
होसके तो सभी का भला कीजिये l 

खवाब में आके मुझको जगाना भी है ,
नीन्द आये मुझे ये दुआ कीजिये l 

जब भी खुशियां मिले तुम को ए दोस्तों ,
शुक्रिया फ़िर खुदा का अदा कीजिये l 

ख्वाहिशे हों सभी तुझमें ज़िन्दा मेरी ,
हश्र तक प्यार का सिलसिला कीजिये l 

साया देंगे नहीं ये हैं ऊँचे शजर,
धूप को सर पे रखके चला कीजिये l

लोग क्या -क्या समझ लेते हैं ए "निशा ",
मुस्कुरा के न सबसे मिला कीजिये l 

डा. नसीमा निशा 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

हिंदी साहित्य वैभव पर आने के लिए धन्यवाद । अगर आपको यह post पसंद आया हो तो कृपया इसे शेयर कीजिये और comments करके बताये की आपको यह कैसा लगा और हमारे आने वाले आर्टिक्ल को पाने के लिए फ्री मे subscribe करे
अगर आपके पास हमारे ब्लॉग या ब्लॉग पोस्ट से संबंधित कोई भी समस्या है तो कृपया अवगत करायें ।
अपनी कविता, गज़लें, कहानी, जीवनी, अपनी छवि या नाम के साथ हमारे मेल या वाटसअप नं. पर भेजें, हम आपकी पढ़ने की सामग्री के लिए प्रकाशित करेंगे

भेजें: - Aksbadauni@gmail.com
वाटसअप न. - 9627193400

विशिष्ट पोस्ट

सूचना :- रचनायें आमंत्रित हैं

प्रिय साहित्यकार मित्रों , आप अपनी रचनाएँ हमारे व्हाट्सएप नंबर 9627193400 पर न भेजकर ईमेल- Aksbadauni@gmail.com पर  भेजें.