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बुधवार, 8 अप्रैल 2020

वंदना के स्वर ; ~ रात-दिवस और प्रातः शाम ~ दिलीप कुमार पाठक "सरस"

वंदना के स्वर
रात-दिवस और प्रातः शाम|
तेरी वंदना आठों याम||
ज्ञानदायिनी मेरी माता|
मेरी तुम हो भाग्यविधाता||
तुमसे जीवन-रस पाता|
नतमस्तक हो तुमको ध्याता||
तेरी कृपा से माता मैं तो|
चलता दुर्गम पथ अविराम|
तेरी वंदना------
मेरा जीवन सार तुम्हीं हो|
सांँसों का अधिकार तुम्हें हो||
ज्ञानदीप आधार तुम्हीं हो|
चँहूओर जयकार तुम्हीं हो||
वंदनवार सजाये बैठे|
मनमंदिर मम अक्षरधाम||
तेरी वंदना ------
दिलीप कुमार पाठक "सरस"

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