गयी बीत रतिया अँधियारी|
भोर काल की है उजियारी|
सूरज अँखियाँ खोल रहा है|
मंद पवन भी डोल रहा है||
जागो-जागो खगकुल बोला|
मीठा-मीठा रस है घोला|
पूजा वंदन स्वागत गाना|
ईश चरण में शीश झुकाना|
रोग दोष भय शोक नशाये|
ईश वंदना जो कोई गाये||
सारे जग में है अति प्यारी
प्रभु की लीला सबसे न्यारी||
दिलीप कुमार पाठक सरस
चौपाई
गयी बीत रतिया अँधियारी|
भोर काल की है उजियारी|
सूरज अँखियाँ खोल रहा है|
मंद पवन भी डोल रहा है||
जागो-जागो खगकुल बोला|
मीठा-मीठा रस है घोला|
पूजा वंदन स्वागत गाना|
ईश चरण में शीश झुकाना|
रोग दोष भय शोक नशाये|
ईश वंदना जो कोई गाये||
सारे जग में है अति प्यारी
प्रभु की लीला सबसे न्यारी||
दिलीप कुमार पाठक सरस
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