ग़ज़ल
हिम्मत की हौसले की वो दीवार है औरत ,
जो मुश्किलों को काटे वो तलवार है औरत l
इनके बगैर दुनिया का वजूद है कहाँ ,
मरियम ओ सीता फातिमा किरदार है औरत l
इनके मुकाबले में हुकूमत करे कोई ,
सुल्ताना लक्ष्मीबाई सी अवतार है औरत l
माँ है ,बहन है ,बेटी है ,बीबी ,सखी है ये ,
रब से मिला हुआ हंसी उपहार है औरत l
हर हाल में निभाती है रिश्ते तमाम ये ,
इज़्ज़त की और यक़ीन की हक़दार है औरत l
अब ज़ुल्म न सहेगी 'निशा गौर से सुनो ,
सच मानिये कि अब नहीं लाचार है औरत l
डा.नसीमा निशा
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