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बुधवार, 8 अप्रैल 2020

ग़ज़ल :- सोये हुए थे, हमको वो बेदार कर गया - डा नसीमा निशा

सोये हुए थे ,हमको वो बेदार कर गया ,
कुछ इसतरह से हमें होशियार कर गया l

हिन्दोस्ता की नाव थी तूफ़ान में फंसी ,
अंग्रेज़ देखते रहे ,वो पार कर गया l

धागे में वो फूलों की तरह बाँध कर हमें ,
हिन्दोस्तान  के गले का हार कर गया l

भाषा के नाम पर ,कभी मज़हब के नाम पर ,
आपस में लड़ने वालों को इकसार कर  गया l

सच और अहिंसा का हमें सैनिक  बनाकर वो ,
हर ज़ुल्म से ही लड़ने को तैयार कर गया l

गांधी के उस उसूल पर चलना ही है 'निशा ',
हिन्दोस्ता को अपने अनादर कर गया l

डा.नसीमा निशा

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