इत उत नित कहती,लल्ला है मेरो|
ओ मइया मोरी, बालक मैं तेरो||
लला बड़ो नटखट, झपटत है झटपट|
करै खूब खटपट, सरक जात सरपट||
झट भागत आवत, तू कसकर पकड़त|
कान खींच मेरे, मोपै तू अकड़त||
फिर डाँट डपट माँ, कहती कुछ खा ले|
पढ़ लिख फिर सो जा, हुआ है अँधेरो|
दिलीप पाठक
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