मेरे खिलाफ़ तू हर वक़्त बोलता क्या है
बताओ तुम कि आखिर ये माज़रा क्या है
मुझे यों देखके आखिर तू सोचता क्या है
नज़र में मेरी बता तूने यह पढ़ा क्या है
किसी ने पूछा कि दुनिया का फ़लसफ़ा क्या है
जवाब हमने दिया आबे बुलबुला क्या है
दिमाग वालो ने लूटा है दिल की बस्ती को
बगैर दिल के बताओ कभी हुआ क्या है
अधूरी ज़िन्दगी मेरी, अधूरी है दुनिया
खुशी में तुम न हो शामिल तो फ़िर मज़ा क्या है
नहीं हो साथ मेरे तो ज़रा बताओ तुम
हज़ार ख्वाब दिखाने से फ़ायदा क्या है
मैं क़ैद तेरे खयालो में हो नहीं सकती
निशा परिन्दा है तू उसको रोकता क्या है l
dr. नसीमा निशा
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