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सोमवार, 6 अप्रैल 2020

मिरी अहले वफा देखो सनम कैसी वफा दी है - विकास भारद्वाज


मिरी अहले  वफा   देखो   सनम   कैसी  वफा  दी  है ।
पुराना   जख्म   गहरा   हो   रहा   कैसी  दवा  दी  है ।।

मिरे  ये  जख्म  मरहम  से  नही  इल्जामों  से  भर कर ।
मुझे   उसने   न   जाने  इश्क   में  कैसी  सजा  दी  है ।।

लरजते   होठों   की   बढने   लगी   है  प्यास  परदेशी ।
कसक  मिलने  की  दिल  में आज ये कैसी उठा दी है ।।

नही मिलती है अब दिल को तुम्हारे ख्यालों से फुर्सत ।
मेरे   महबूब   तुमने   इश्क   की   कैसी   हवा  दी  है ।।

खुदा  ने  आपको  क्या  खूबसूरत  आँखें  दी  जानम ।
जो  भी   देखे   हुआ  मदहोश  ये  कैसी  अदा  दी  है ।।

©विकास भारद्वाज "अक्स बदायूँनी"
    15  दिसम्बर  2019




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