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गुरुवार, 2 अप्रैल 2020

मैं अपनी तस्वीर उसके मारे बना रहा हूँ - चराग़ शर्मा

मैं अपनी तस्वीर उसके मारे बना रहा हूँ ।
सो चेहरे के दाग़ प्यारे प्यारे बना रहा हूँ ।
Main apni tasweer uske maare bna rha huN
So chehre ke daagh pyare pyare bna rha huN

वहां वो टीचर ज़मीं का लेसन पढ़ा रही है,
यहाँ मैं कॉपी के पीछे तारे बना रहा हूँ ।
VahaN vo teacher zameeN ka lesson padha rhi hai
YahaN maiN copy ke peechhe tare bna rha huN

मुझे पता है कि क्या बनाने से क्या बनेगा,
सो कारख़ाने नही इदारे बना रहा हूँ ।
Mujhe pta hai ki kya banaane se kya banega
So kaarkhane nhi idaare bna rha huN

मैं अपने कमरे में काग़ज़ी फूल उगाने वाला,
ग़ज़ल का पर्दा लगा के नारे बना रहा हूँ ।
Main apne kamre me kaghazi phool ugane wala
Ghazal ka parda lga ke naare bna rha huN

ऐ फोटोग्राफ़र ! यूँ ही न बन जाता है तबस्सुम,
बना रहा हूँ, ठहर जा प्यारे ! बना रहा हूँ ।
Ay photographer! YuN hi na ban jata hai tabassum
Bna rha huN , theher ja pyaare ! bna rha huN

- चराग़

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