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मंगलवार, 7 अप्रैल 2020

ग़ज़ल :- मुझे सीने से वो तेरा लगाना याद आता है - शान मिस्बाही

जहाँ मिलते थे हम दोनों ठिकाना याद आता है
वो तेरा मुस्कुराकर भाग जाना याद आता है

मैं जब भी रूठ जाता था तू मुझको प्यार करती थी
मुझे सीने से वो तेरा लगाना याद आता है

मिरे दिल के वो गोशे में अभी भी घाव कर जाए
सुनाया था कभी तूने तराना याद आता है

ज़माने की निगाहों से तिरा बचकर चले आना
मिरी बाहों में आकर मुस्कुराना याद आता है

तू मुझसे रूठ जाती थी मैं तुझको फिर मना लेता
ज़रा सी बात पर नज़रे दिखाना याद आता है

न जाने तुम कहाँ हो अब,न जाने मैं कहाँ हूँ अब 
हमेशा साथ थे हम वो ज़माना याद आता है

कभी जो बात बढ़ जाती यक़ी ख़ुद को दिलाते थे
वो इक दूजे की झूँठी क़समें खाना याद आता है

मैं कैसे भूल सकता हूँ भला वो पल मुहब्बत के 
ज़बरदस्ती तिरा मुझको हँसाना याद आता है

कभी जो भूख़ की शिद्दत मुझे थी शान तड़पाती
वो हाथों से तिरा खाना खिलाना याद आता है

शान मिस्बाही

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