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गुरुवार, 2 अप्रैल 2020

हवा शजर ने तेरा एहतराम करते हुए - चराग़ शर्मा

हवा शजर ने तेरा एहतराम करते हुए ।
कमर कमान बना ली सलाम करते हुए ।

सवेरे बाग़ में, उसको ,ख़िराम करते हुए ।
कई गुलाब मिले राम राम करते हुए ।

तमाम रात चराग़ों के नाम करते हुए ।
किसी ने ख़ुद को डुबोया है शाम करते हुए ।

वो बच्चा जो कभी गिनता था रातभर तारे
वो आज सो गया ट्यूशन का काम करते हुए

सफ़र में रेत न धूप ,और उसपे इतने दरख़्त  !
कि लोग थकने लगे हैं क़याम करते हुए

- चराग़

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