हिंदी साहित्य वैभव

EMAIL.- Vikasbhardwaj3400.1234@blogger.com

Breaking

बुधवार, 1 अप्रैल 2020

ग़ज़ल :- ख़ुद को अगर हरा देता हूँ - रघुनंदन शर्मा "दानिश"

ख़ुद   को  अगर  हरा  देता  हूँ
समझो इश्क़  निभा सकता हूँ।

कोई   नहीं  दुःख  सुनने  वाला
रोकर  काम    चला   लेता  हूँ।

मुझको   चुप   रहना  आता  है
मैं  भी   शोर  मचा  सकता  हूँ।

दुनिया   वहशी   कह  सकती है
इतनी    ख़ाक   उड़ा   लेता  हूँ।

सब  के  सब  मल्लाह  हैं  इसमें
कैसे   नाव    बचा    सकता  हूँ।

दुनियादारी     सीख     ली   मैंने
अब  मैं  उसको  गँवा सकता हूँ।
                                       रघुनंदन शर्मा "दानिश"

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

हिंदी साहित्य वैभव पर आने के लिए धन्यवाद । अगर आपको यह post पसंद आया हो तो कृपया इसे शेयर कीजिये और comments करके बताये की आपको यह कैसा लगा और हमारे आने वाले आर्टिक्ल को पाने के लिए फ्री मे subscribe करे
अगर आपके पास हमारे ब्लॉग या ब्लॉग पोस्ट से संबंधित कोई भी समस्या है तो कृपया अवगत करायें ।
अपनी कविता, गज़लें, कहानी, जीवनी, अपनी छवि या नाम के साथ हमारे मेल या वाटसअप नं. पर भेजें, हम आपकी पढ़ने की सामग्री के लिए प्रकाशित करेंगे

भेजें: - Aksbadauni@gmail.com
वाटसअप न. - 9627193400

विशिष्ट पोस्ट

सूचना :- रचनायें आमंत्रित हैं

प्रिय साहित्यकार मित्रों , आप अपनी रचनाएँ हमारे व्हाट्सएप नंबर 9627193400 पर न भेजकर ईमेल- Aksbadauni@gmail.com पर  भेजें.