प्यार हमने कभी भी जताया नहीं
दर्द दिल में है कितना दिखाया नहीं।
हो न जाऊं मैं रुसवा कहीं प्यार में
रुख से पर्दे को मैने हटाया नहीं।
वो तड़पकर के आएंगे इक रोज जब
बस तभी दिल पे ताला लगाया नहीं।
मैं मुकम्मल नहीं हूँ बिना आपके
आपका नाम दिल से मिटाया नहीं।
जाने क्या हो गयी मुझसे एसी खता
लौटकर जो कभी घर पे आया नहीं
क्या सना जानती है तुम्हारी तलब
मैने उलफत का शोला बुझाया नहीं।
सना परवीन
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