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मंगलवार, 10 जुलाई 2018

नज़्म - ●सच्चे प्यार का आखिरी तोहफा - आंसू● - अक़्स बदायूँनी

तुमने जो खत किताबों में मेरी छुपाये
वो आज भी मोह्ब्बत की खुशबू देते है
तुमसे शिकायत भी बहुत सी है
जिंदगी की तमाम हसरतें अधूरी रह गयी   
पर जिदंगी में वक्त के साथ
सब कुछ बदल गया,
साथ बीते लम्हें ,यादें भी बहुत सी,
बरसों से सभाली हुई ,
पर नए फसानों ने सादगी से
तरंगें भी बदल दी हैं
इंतज़ार था मेरी आँखों में,
थकी पलकें बंद होती नहीं थी,
अपने बिस्तर पर लेट तन्हा !!
रात गुजारी है मैने खयालों मे तेरे !!
पर नए सपनों ने मासूमियत से,
टूटा मैं जब हिम्मत कोशिशों से मिलीं
तेरा मेरा अफसाना अधूरा रह गया
सच्चे प्यार का आखिरी तोहफा
आंसू बन के रह गया
सवाल बहुत से होंगे तुम्हारे भी,
सालों से जो पुछा करती थी,
फैसला तुम्हारा था
हमारी खामियां ढूढने का
हम तो तुझे सिर्फ चाहते थे
मै शराब नही अब
ख्याल जाम भर के पीता हूँ
तुम्हारे झूठे लफ्ज़ और अधूरे वादे से
मैंने भी, फिर तुमसे दूरी कर ली,
खो कर हक़, न पूछना हमसे कुछ,
ख़्वाबों में उनका चाँद सा चेहरा,
आँखों से आँसूओं की बरसात
इन्तज़ार , इज़हार , मुलाकात
सब किया है हमने
अब तुम ही बताओ जाना
प्यार की गहराई मैं कैसे बँया करता
सच्चे प्यार का आखिरी तोहफा -
आंसू बन के मिला

                        © अक्स बदायूँनी
                             27 जून 2017

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