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शुक्रवार, 27 जुलाई 2018

आज जन्मदिन है युवा साहित्यकार विकास भारद्वाज जी का आइये लुत्फ लेते है उनकी कुछ ग़ज़लों का......


आज रू-ब-रू होते हैं उस कम उम्र के उस बड़े शायर से... जिसकी कहन दाँतों तले उँगलियाँ दबाने पे मजबूर कर देती है...

हम बात कर रहे हैं यूपी के शहर बदायूं से ता'अल्लुक़ रखने वाले नौजवान शायर अक़्स बदायूंनी जी की... शायरीबाज़ी का एक अलग अंदाज़ अक़्स जी की शायरी को बेहद खास बना देता है...आइए लुत्फ़ लेते हैं अक़्स बदायूंनी जी की ख़ूबसूरत सी ग़ज़लों के कुछ शेरों का...

मुझसे तेरी आंखो  की  क़यामत  नही  देखी  जाती ।
यार   तेरी  जुल्फो  की  शरारत  नही   देखी  जाती ।।

इक नज़र मुझसे मिला लें जो तू फिर महफिल में ।
देखने    वालों    की    हैरत   नही   देखी   जाती ।।

तुम्हारे बिन मुझे अब अपना घर अच्छा नही लगता ।
नही हो साथ तुम अब ये सफ़र अच्छा नही लगता ।।

गरीबों  की  बस्तीं  में  आती जब भी आधियां हमकों ।
तबाही  का  कभी - कोई  मंजर  अच्छा  नही लगता ।।

बढो तुम जिंदगी से प्यार होगा ।
पढो सपना तभी साकार होगा ।।
     
करो माँ - बाप की सेवा निस्वार्थ ।
तभी जीवन सदा गुलजार होगा ।।

किया सम्मान तुमने जो बडों का ।
वहाँ फिर आपका सत्कार होगा ।।

लबों का आज जो खामोश होना ।
समझ आया तुम्हें इनकार होगा ।।

थोड़ी उलझन में  हूँ  पर  बुज़दिल  नही ।
साथ हो तुम  फिर  कोई  मुश्किल  नही ।।

इस  तन्हा  दिल  को  ले  जायें  हम  कहाँ ।
बिन  तुम्हारे  जमती  अब  महफिल  नही ।।

ये  तन्हाई  और  ये  आलम  बडा  खुदगर्ज है ।
उम्र  भर  अब  हम  भरेगें  जिंदगी  इक  कर्ज़ है ।।

जिंदगी  से  यूँ  कभी  तेरा  मिटेगा  नाम  क्या ।
हर  वरक  में  तू  फसाने  की  तरह  अब  दर्ज   है ।।

हम   मुहब्बत   से  मुहब्बत   का'  सिला   देते   है  ।
बर्षों'  से  बिछडें'   उन्हें  दिल  से'  मिला   देते   हैं ।।

यूं   तो  रिश्तों  में  हो  जाती  है  गलतफहमी  पर  ।
हम   दिलों   की   दूरियां   दिल  से  मिटा  देते  हैं ।।

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