वतन की खातिर मिट जाते बस नाम अमर वो रहता है
मंगल पाण्डे भड़क गये थे उस अग्रेजी वर्दी से
कारतूस बनवाते गोरे गाय सुअर की चर्बी से
यूरोपी रेजीमेन्ट बनी थी भारतीयों की भर्ती से
भूमिदेव अंगार उगा यू पी बलिया की धरती से
बीस बर्ष की आयु युवा इस बटालियन का हिस्सा था
बढ रही छावनी बैरकपुर कुछ दिलदारी का किस्सा था
गोरे अफसर रोज नये कुछ पत्ते खोला करते थे
भारत के वीर सपूतों को देहाती वोला करते थे
मिलकर के सब सैनिक वोले जो कारतूस चलवाते हो
तुम गाय सुअर का लेप चढा नापाक हमें करवाते हो
यदि सभी चाहते आजादी तो कोई तो मृगराज बनो
मिलकरके जान लुटा देंगे बस तुम पहली आवाज बनो
बस पवनपुत्र बन जाओ तुम हम सब अंगद बन जायेंगे
इन गद्दारों की लंका में अब लंका दहन मचायेंगें
भारतीय बलिदानों से बंगाल की धरती पावन थी
विद्रोह उठा था जब पहला सन अठरह सौ सत्तावन थी
केहरि बन करता सिंसनाद वह अद्भुत योद्धा मंगल था
थीं लोड रायफल हाथों में वो इतिहासों का दंगल था
ललकार रहे साथी आओ मिलकर यह फर्ज निभाना है
भारत की लाज बचानी है हमें अपना धर्म बचाना है
आक्रोश भरा था हृदय में वो वगावती तेवर में थे
थीं पिस्टल लोड रायफल भी सब शस्त्र रुप जेवर में थे
जनरल हर्से ने फोर्स सहित फिर आगे जाकर घेर लिया
मंगल को करलो गिरफ्तार ईश्वर पाण्डे को आदेश दिया
उसने आदेश नही माना ऐसा कैसे कर सकता हूँ
यदि मंगल कुर्बानी देगा मैं साथ साथ मर सकता हूँ
कर्नल बाँग बढा आगे मंगल ने उस पर बार किया
लेकर तलवार भिडे दोनों कर्नल मुँह के बल डार दिया
भारतीय सिपाही था पलटू थी सेखी बडी कमीने में
धोखे से बार किया उसने तलवार भोक दी सीने में
पल्टू ने ही कर गिरफ्तार अपनों को फसवाया है
गद्दार कमीना दगाबाज वो मन ही मन हर्षाया है
उन फिरंगियों ने मिलकरके फाँसी का हुक्म सुनाया है
राजेश मिश्र इस वर्णन को रोते रोते लिख पाया है
जो दर्द दबे हैं सीने में वो दर्द लिखा हम करते हैं
हसते फाँसी जो झूल गये वो मर्द लिखा हम करतें हैं
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राजेश मिश्र प्रयास |
जिलाध्यक्ष राष्ट्रीय ब्राह्मण महासंघ ---जिला (पीलीभीत)
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